Section 78 (BNS) Bharatiya Nyaya Sanhita 2023 Definition & Punishment
Section 78 Bharatiaya Nyaya Sanhita 2023 के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति किसी महिला अरुचि के स्पष्ट संकेत के बावजूद भी जबरदस्ती से बार-बार व्यक्तिगत बातचीत करने के लिए किसी महिला का पीछा करता है या आपस में महिला की रुचि नहीं होने पर भी बातचीत को बढाने की कोशिश करता है वह उस महिला के साथ संपर्क करता है, या उस महिला के साथ संपर्क करने का बार बार प्रयास करता है तो वह व्यक्ति धारा 77 का अपराध करता है
Section 78 BNS 2023 के अंदर कब अपराध की श्रेणी में नहीं आता
धारा 78 के अनुसार जब कोई व्यक्ति किसी महिला द्वारा प्रयोग ई-मेल , इंटरनेट या इलेक्ट्रॉनिक संचार के किसी भी रूप के उपयोग पर निगरानी रखता है, महिला का पीछा करने का अपराध करता है ऐसा करना अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा यदि निगरानी रखने वाला व्यक्ति निम्न बातें साबित करता है –
(i) यदि वह व्यक्ति यह साबित करता है कि यह कार्य उसने अपराध का पता लगाने के उद्देश्य या अपराध को रोकने के उदेश्य से किया था और लड़की का पीछा करने के वाले व्यक्ति को राज्य सरकार या राज्य की कानुन व्यवस्था द्वारा अपराध की रोकथाम और अपराध का पता लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी तो वह धारा 78 का अपराध नहीं माना जाऐगा।
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(ii) यदि वह व्यक्ति यह साबित करता है कि यह कार्य उसने किसी कानुन के अनुसार या किसी कानून के तहत किसी विशेष व्यक्ति द्वारा दिए गए आदेश के या लगाई गई किसी शर्त के अनुसार किया है या उस समय की आवश्यकता की अनुपालन करने के लिए यह काम किया था तो वह धारा 78 का अपराध नहीं माना जाऐगा।
(iii) यदि वह व्यक्ति यह साबित करता है कि यह कार्य उसने यह अपराध विशेष परिस्थितियों में उसका ऐसा आचरण उचित था तो वह धारा 78 का अपराध नहीं माना जाऐगा।
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धारा 78 लड़की का पीछा करने या छेड़खानी करने पर सजा
जब कोई व्यक्ति किसी महिला का पीछा करने का अपराध करता है तो दो प्रकार से सजा मिलती है यदि वह व्यक्ति पहली बार अपराध का दोषी ठहराए जाता है तो पहली बार दोषी पाए जाने पर किसी एक अवधि के लिए उस व्यक्ति को कारावास से दंडित किया जाएगा और उसकी सजा को तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही वह व्यक्ति जुर्माने के लिए उत्तरदायी होगा और जब उस व्यक्ति दोबारा उसी अपराध में दोषी पाया जाता है तो उसे किसी भी अवधि के लिए दंडित किया जाएगा साथ में उसकी कारावास की अवधि को 5 वर्ष तक बढ़ाया भी जा सकता है, और साथ में जुर्माना भी लगाया जा सकता है। पहले यह अपराध भारतीय दंड संहिता के तहत धारा 354डी के तहत दंडित किया जाता था लेकिन अब संविधान में संसोधन के तहत भारतीय दंड संहिता 1860 को भारतीय न्याय संहिता 2023 में परिवर्तित कर दिया गया है।
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